ग्रामप्रधान को कैसे हटाएं ?
दोस्तों पंचायती राज ने जहाँ ग्राम प्रधान को अपने गांव के विकास के लिये तमाम शक्तियां प्रदान की हैं वहीं कुछ शक्तियां मतदाताओं को भी प्रदान की हैं ताकि यदि ग्राम प्रधान भ्रष्टाचार कदाचार में लिप्त रहे ,अपने गांव का विकास न करे ,तो ग्रामीण अपने गांव के प्रधान को हटा सकें।
पंचायतीराज अधिनियम की धारा 14 ग्रामीणों को अपने गांव के प्रधान को हटाने की शक्ति प्रदान करती है ।ग्राम प्रधान को कैसे हटाएं ? के सम्बंध में पंचायती राज अधिनियम की धारा 14 ग्रामीणों के लिये बहुत उपयोगी है ।
दोस्तों आओ जानते हैं ग्राम प्रधान को पदमुक्त करने के नियम
किसी भी ग्राम प्रधान या सरपंच को हटाने के दो तरीके होते हैं प्रथम अविश्वास प्रस्ताव ,द्वितीय यदि ग्राम प्रधान सरकारी आदेशों की अवहेलना करे तो राज्य सरकार प्रधान पर कार्यवाही कर उसे पदमुक्त कर सकती है ।
आओ हम प्रथम तरीके को जानते हैं अर्थात ग्राम प्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव को कैसे लाया जाता है ? दोस्तों हम सभी जानते हैं कि भारत गांवों में बसता है गांव के विकास के बिना भारत का विकास संभव नहीं है ।गांव का विकास गांव के निवासियों द्वारा ही हो इसीलिये पंचायतीराज अधिनियम द्वारा ग्राम पंचयतों को मजबूत किया गया तथा प्रधान या सरपंच को अनेक शक्तियां प्रदान की गयीं।साथ ही ग्राम प्रधान के साथ साथ ग्रामसभा के सदस्यों अर्थात मतदाताओं को भी अधिकार दिया गया है ताकि वह ग्राम प्रधान की निरंकुशता पर लगाम लगा सके।
अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जाता है-
दोस्तों यदि ग्राम प्रधान या सरपंच अपने कार्यों के प्रति लापरवाह है, अपने ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के प्रति उदासीन है ।उसे पंचायत के कार्यों में रुचि नहीं है या भ्रष्टाचार कदाचार में डूबा है ,इस स्थिति में ग्राम सभा के सदस्य अर्थात मतदाता(18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी ग्रामीण ) ग्राम प्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं एवं प्रस्ताव पारित होने की स्थिति में ग्राम प्रधान को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है।
अविश्वास प्रस्ताव कैसे लाया जाता है-
ग्राम प्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया बड़ी सरल है ।यदि ग्रामीण अपने ग्राम प्रधान के कार्यों से असंतुष्ट है ,उसके अन्याय और भ्रष्टाचार से परेशान हैं तो ग्रामसभा के आधे से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर सहित एक आवेदन जिसमे ग्राम पंंचायत के तीन सदस्यों अर्थात पंचों के हस्ताक्षर भी होने अनिवार्य हैं को जिला पंचायत राज अधिकारी ( डी पी आर ओ )के समक्ष प्रस्तुत करना होता है ।जिला पंचायत राज अधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करते समय यह जरूरी है कि ग्रामपंचायत के तीन सदस्य जिन्होंने आवेदन पर हस्ताक्षर किए थे जिला पंचायतराजअधिकारी को अविश्वासप्रस्ताव का आवेदन देते समय अनिवार्य रूप से उपस्थित होना पड़ता।
जिला पंचायत राज अधिकारी 30 दिनों के अंदर-अंदर ग्राम सभा की बैठक बुलाते हैं जिसकी सूचना 15 दिन पूर्व ग्राम पंचायत कार्यालय में चस्पा दी जाती है या मुनादी या डुग्गी द्वारा ग्रामसभा को दे दी जाती है। डी पी आर ओ की उपस्थिति में ग्राम सभा की बैठक होती है जिसमे ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है।अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने के बाद गुप्त मतदान होता है ।ग्राम सभा की बैठक में उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों का दो तिहाई मत पड़ना आवश्यक होता है । यदि दो तिहाई मत पड़ जाते हैं तब प्रधान अपना इस्तीफा दे देता है
अविश्वास प्रस्ताव के नियम-
- अविश्वास प्रस्ताव सम्बन्धी प्रार्थनापत्र ग्रामसभा के आधे सदस्यों व 3 पंचायत सदस्यों द्वारा डी पी आर ओ के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।
- डी पी आर ओ 30 दिनों के अंदर ग्राम सभा की बैठक बुलाता है जिसकी सूचना 15 दिन पहले कर दी जाती है।
- ग्राम सभा की बैठक में कोरम के लिये 1/5 सदस्य अनिवार्य होते हैं। कोरम के आभाव में बैठक स्थगित हो जाती है व अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो जाता है ।कोरम के आभाव में खारिज हुये अविश्वास प्रस्ताव के चलते अगला अविश्वास प्रस्ताव एक साल बाद ही लाया जाता है।
- किसी प्रधान के विरुद्ध समान्यता अविश्वास प्रस्ताव उसके प्रारम्भिक दो वर्ष के कार्यकाल तक नहीं लाया जाता है।
- ग्राम सभा की बैठक में उपस्थित व मतदान देने वाले सदस्यों का दो तिहाई मत अविश्वास प्रस्ताव के लिये आवश्यक है।
उपप्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव -
उपप्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की वही प्रक्रिया है जो प्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की है।बस अंतर केवल यह है कि जहाँ ग्राम प्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ग्राम सभा के आधे सदस्य व ग्रामपंचायत के सदस्य मिलकरलाते हैं वहीं उपप्रधान के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ग्राम पंचायत के सदस्य द्वारा ही लाया जाता है।
ग्राम प्रधान को हटाने का द्वितीय प्रावधान-
ग्राम प्रधान के विरुद्ध यदि कोई वित्तीय अनियमितता या भ्रष्टाचार सम्बन्धी मामला है तब राज्य सरकार ग्राम प्रधान के विरुद्ध कार्यवाही कर सकती है एवं उसे पदमुक्त कर सकती है।
ग्राम प्रधान या सरपंच का वेतन-
ग्राम प्रधान या सरपंच को मानदेय के रूप वेतन मिलता है।ग्राम प्रधान का मानदेय अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है।उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम प्रधानों का मानदेय 3500 रुपये मासिक निर्धारित किया है साथ ही उसे कई अन्य भत्ते भी प्रदान किये जाते हैं।
यह सच है कि ग्राम प्रधानों को बहुत मामूली मानदेय प्राप्त होते हैं जबकि वह दिन रात जन सेवा में लगे रहते है।कहीं न कहीं ग्राम प्रधानों का यह कम मानदेय ही पंचयतों में भ्रष्टाचार का एक कारण भी है।
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2021 के समय समाचार पत्रों में यह खबर प्रकाशित हुई थी कि ग्राम प्रधान को राजपत्रित अधिकारी के समान वेतन प्रदान किया जाएगा अर्थात 4800 ग्रेड पे ( लगभग 60000 रुपये ) । लेकिन सरकार ने इस विषय मे अभी स्पष्ट नहीं किया है ।
पंचायत चुनाव 2020-
दोस्तों कोरोना महामारी के चलते पूरी व्यवस्था ही अस्तव्यस्त हो गई है ।इसी के चलते आमजन यही कयास लगाने लगा है कि हो सकता है कि पंचायत चुनाव आगे बढ़ जाएं। यदि भारत में कोरोना वायरस की रफ्तार थमी नहीं तो आमजन की यह कयास सही भी हो सकती है।
पर दोस्तों राज्य सरकार की मंशा पंचायत चुनावों को टालने की नहीं है।पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने अभी हाल ही में बयान दिया था कि पंचायत चुनाव अपने तँय समय पर ही होंगे।इससे अनुमान यही लगाया जाता है कि यदि स्थिति सही रही तो सम्भवता पंचायत चुनाव अपने निर्धारित समय पर ही होंगे।
चूंकि ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 26 दिसम्बर को समाप्त हो रहा है इसलिए सूत्रों के अनुसार दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में चुनाव करा लिये जायेंगे।इस बार सरकार की मंशा ग्रामप्रधान ,पंचायत सदस्य ,बी डी सी व जिला पंचायत के चुनावों को एक साथ कराने की है।
दोस्तों पंचायत चुनाव2020 में प्रवासी कामगारों की बड़ी निर्णायक भूमिका रहेगी ।क्योंकि कोरोना महामारी के चलते लगभग सभी प्रवासी कामगार अपने-अपने गांव आ गए हैं।इसलिये पंचायत चुनाव 2020 में वोट प्रतिशत बढ़ने की भी पूर्ण सम्भावना है।साथ ही अबकी चुनाव में प्रवासी भाई-बहन शहर जैसी सुविधाओं की मांग अपने गांवों में करेंगे क्योंकि वे शहरी सुविधाओं से परिचित हैं और सोचेंगे कि क्यों न ऐसी सुविधा हमारे गांवों में हो।इसलिये अबकी चुनाव में प्रवासी मजदूरों की आकांक्षाओं का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा होगा जोकि गांवों की तस्वीर बदल सकता है।
जमीनी हकीकत-
आज जनता के पास तमाम अधिकार होने के बावजूद जनता निरीह लाचार बनी हुई है।उसकी लाचारी का फायदा भ्रष्ट जन प्रतिनिधि व अधिकारी उठा रहे हैं ।जनता अपने अधिकारों के प्रति अनिभिज्ञ है ।उसे ग्राम सभा की शक्ति का ज्ञान नहीं है इसीलिये तो ग्राम प्रधान भ्रष्टाचार में डूबे रहते हैं।
जिन ग्राम सभाओं मे अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता है आज उन ग्राम सभाओं की तस्वीर बदल गई है।ग्रामप्रधान को पंचायत कार्यों को ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत करना होता है और ग्राम सभा पंचायत कार्यों की निगरानी करती है।ग्राम सभा को यदि ग्राम प्रधान के विरुद्ध भ्रष्टाचार ,कदाचार की शिकायत मिलती है या ग्राम पंचायत के कार्यों में अरुचि दिखती है तो वह अविश्वास प्रस्ताव भी ले आती है।
दोस्तों आपको मेरा यह पोस्ट ' ग्राम प्रधान को कैसे हटायें ? ' कैसा लगा ? टिपण्णी कर जरूर बताइयेगा। यदि पोस्ट पसन्द आया हो तो शेयर जरूर करियेगा ताकि ग्रामीण युवा अपने पंचायतीराज सम्बन्धी अधिकारों से परिचित हो सकें,अपनी माटी के लिये कुछ कर सकें।पूरा पोस्ट पढ़ने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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