- सोशलमीडिया(social media)और हमारी जिम्मेदारी-एक लेख
- सोशलमीडिया(social media) क्या है ?
- सोशलमीडिया(social media) और युवा
- सोशलमीडिया(social media) का रिश्तों पर प्रभाव
- सोशलमीडिया(social media) से लाभ
- सोशलमीडिया(social media) से हानियाँ
- सोशलमीडिया(social media) और गांव
- महत्वपूर्ण लिंक-सोशल नेटवर्किंग स्टडी इंस्टीट्यूट
- अन्य जानकारी
सोशलमीडिया(social media) और हमारी जिम्मेदारी-लेख ;
सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है जो हमारे संदेश और विचारों को अपार जन समूह तक प्रसारित करता है ।यह आम जन का मंच है जहाँ आमजन विभिन्न मुद्दों पर अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करते हैं।सरकार की आलोचना करते हैं,उसकी गलत नीतियों का विरोध करते हैं,भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाते हैं,समाज में व्याप्त बुराइयों को उजागर करते हैं। इसके लिए हम अपने तमाम सन्देश ,विचार और अभिव्यक्तियों को साझा करते हैं।हमारे संदेश ,विचारों और अभिव्यक्तियों में मतभेद हो सकते है और होना भी चाहिए यही तो हमारे लोकतांत्रिक मूल्य हैं और हमारी भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा की विशेषता भी। वैचारिक मतभेद तर्क-वितर्क को जन्म देते हैं और तर्क वितर्क से नवविचार सृजित होते हैं और नवविचार ही सुंदर समाज का निर्माण करते हैं।सोशल मीडिया को इस तरह से प्रयुक्त करना समाज और देश हित में है।ऐसे लोगो को शत शत नमन।ऐसे लोगो की वजह से ही आज समाज ,देश और दुनिया में मानवता जिंदा हैं और इस धरा पर जीवन।
कुछ लोग सोशल मीडिया का प्रयोग समाज और देश को तोडने के लिये करते हैं ।हमेशा धार्मिक उन्माद एवं कट्टरता से भरे सन्देश ,जातिवादी,क्षेत्रवादी और साम्प्रदायिक मानसिकता से ग्रसित सन्देश तथा देश के प्रति घृणा ,अलगाववादी सोच वाले सन्देश पोस्ट करते हैं और अपने बच्चों को भी यही सीख देते हैं।यह कैसी अभिव्यक्ति है जो सामाजिक सौहार्द और सद्भाव को बिगाड़े ।जो देश की एकता अखण्डता पर प्रहार करे।मानवता का संहार करे।क्या ऐसे लोगों को ईश्वर कभी माफ करेगा ? दुनिया का कोई धर्म दूसरे धर्म की निंदा करने की इजाजत नहीं देता है पर कुछ तथाकथित धर्म के लम्बरदार अपने धर्म की प्रशंसा में इतना डूब जाते हैं कि वह दूसरे धर्म की बुराई करने में संकोच नहीं करते और दूसरे धर्म की निंदा करना अपना धार्मिक कर्तव्य समझ लेते हैं।अपने धर्म के समान दूसरे धर्म का सम्मान करना ही सच्चे अर्थों में अपने धर्म का सम्मान है और सच्ची देशभक्ती की पहचान भी।सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से प्रयोग हमसब का कर्तव्य है।आओ हमसब सोशल मीडिया का प्रयोग जिम्मेदारी से करें।
सरकार और उसकी नीतियों की जमकर आलोचना करिये ,नफरत की विचारधारा का जमकर विरोध करिये पर कृपया सोशल मीडिया परऐसे पोस्ट न करें जिससे देश के मान ,सम्मान और स्वाभिमान पर प्रहार हो ,देश की एकता ,अखण्डता के लिये खतरा हो, सामाजिक धार्मिक सद्भाव एवं सौहार्द के लिये खतरा हो।नफरत के बीज मत बोओ। इससे किसी को भी छाँव नहीं मिलेगी।भले ही लाख बुराइयों वाला हमारा देश है पर हमारा मान ,सम्मान , अभिमान और पहचान इसी से है।हम सब को ही मिलजुलकर इसे सुधारना है तथा अपने भारत को और सुंदर भारत बनाना है।सोशल मीडिया का प्रयोग देश और समाज को जोड़ने के लिए करो तोड़ने के लिए नहीं।प्रत्येक पोस्ट को जांच परख कर ही पोस्ट एवं शेयर करो ,पूर्वाग्रह से ग्रषित हो कर नहीं।
आओ जाने सोशलमीडिया क्या है ?समाज,युवाओं पर इसका प्रभाव ,सोशल मीडिया के लाभ एवं हानियाँ व सोशल मीडिया और गांव ;
1- सोशलमीडिया(social media) क्या है;
सोशल मीडिया गैरपरंपरागत मीडिया है।यह एक आभासी दुनिया है।इस आभासी दुनिया का प्रवेश द्वार इंटरनेट है।फेसबुक ,व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्वीटर, टेलीग्राम आदि सोशल मीडिया के साधन हैं।जहाँ लोग अपनी प्रोफाइल बनाते हैं और एक दूसरे से कनेक्ट होकर व्यक्तिगत ,सामाजिक,राजनीतिक अन्य रुचिकर सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं। फोटो शेयर करते हैं । वाइस और वीडियो चैटिंग करते हैं।
सोशलमीडिया आज दुनिया में क्रांति का अग्रदूत बनकर उभरा है आज ऐसा कोई शख्स नहीं होगा जो किसी न किसी रूप में सोशल मीडिया से जुड़ा न हो। इससे लोग तेजी से और आसानी से सूचनाओं का आदान प्रदान हैं।अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करते हैं।
2- सोशलमीडिया(social media) के साधन-
इमेज साभार |
यूट्यूब भी सोशलमीडिया का ही एक साधन है जिसके लाभ से सभी परिचित हैं।आज बच्चा हो या बड़ा सभी अपनी समस्या का समाधान या मनोरंजन के साधन को गूगल या यूट्यूब पर खोजते हैं।आज विद्यार्थियों ,प्रतियोगी छात्रों के लिये मानों सोशल मीडिया साक्षात सरस्वती जी का वरदान ही मिल गया हो।जो छात्र कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण महंगी कोचिंगों संस्थानों में प्रवेश नहीं ले पाते थे आज उन्हें सोशल मीडिया के विभिन्न साधनों द्वारा बड़े-बड़े विद्वानों द्वारा निःशुल्क ज्ञान प्राप्त होता है।
2- सोशलमीडिया(social media) और युवा-
इमेज साभार अमर उजाला |
आज युवा सोशल मीडिया बिना अधूरा है।युवा इंटरनेट पर अपना अधिकतर समय सोशल नेटवर्किंग साइट पर ही बिताते हैं।सोशल मीडिया पर अत्यधिक निर्भरता के लाभ भी हैं और नुकसान भी ।यह युवाओं के आत्म अनुशासन पर निर्भर करता है कि वे सोशल मीडिया का सदुपयोग करते हैं या दरुपयोग।पर अधिकतर मामले में देखा गया है कि जो टीन ऐजर्स होते हैं वे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ ही गवां देते हैं। आत्म अनुशासन के साथ सोशलमीडिया का प्रयोग युवाओं के लिये तरक्की का एक साधन है।आज भारत मे बहुत से युवा सोशलमीडिया के माध्यम से स्टडी करते हैं।आज सोशल मीडिया ने बड़ी बड़ी कोचिंग संस्थान को ,विषय विशेषज्ञों को प्रतियोगी छात्रों के द्वार पर ला दिया है। आने वाले समय में शायद ही किसी प्रतियोगी छात्रों को किसी परीक्षा की तैयारी के लिये बड़े-बड़े शहरों का रुख करना पड़े। अच्छी बात यह है कि इसका गरीब उपेक्षित बच्चों को बहुत लाभ होगा।वास्तव में आज सोशलमीडिया युवाओं के भविष्य को सँवार रही है।
सोशलमीडिया जहाँ युवाओं के लिये लाभदायक है वहीं उनके लिये घातक भी है। यह निर्भर करता है कि युवा सोशलमीडिया का किस तरह से प्रयोग करते हैं।आत्मानुशाशन के साथ उद्देश्यपरक प्रयोग से जहाँ युवाओं का कैरियर बनता है वहीं गलत ढंग से यूँ ही टाइमपास प्रयोग से कैरियर चौपट भी होता है।अक्सर यह देखा गया है कि बहुत से युवा यूँ ही टाइमपास के लिए सोशलमीडिया का प्रयोग करते हैं जिससे उनमे तमाम गलत आदतों का विकास होता है और अनिद्रा, अवसाद आदि तमाम व्याधियों से पीड़ित हो जाते हैं।
3- सोशलमीडिया(social media) का रिश्तों पर प्रभाव-
सोशल मीडिया से आज व्यक्ति आभासी दुनिया मे इतना खो गया है कि वह अपने वास्तविक रिश्तों को भूलसा गया है।फेसबुक पर हजारों दोस्त होते हैं पर अपने घर के पड़ोसी से बैरभाव ही होता है।फेसबुक पर तो अनजान दोस्तो से चैटिंग करते हैं पर घर मे जानदार रिश्तों से चीटिंग करते हैं ।आज सोशल मीडिया ने व्यक्ति का नैतिक पतन कर दिया है।आज घर भरे-भरे होने के बावजूद भी गुमसुम से हो गए हैं क्योंकि लोग वास्तविक रिश्तों की जगह आभासी दुनिया में जीना पसन्द करते हैं।आज सोशलमीडिया ने जहाँ तमाम अंजानो एक दूसरे से जोड़ दिया है वहीं तमाम अपनों को अलग भी कर दिया है।घर के सभी सदस्य अपना अधिकतर समय आपस मे संवाद करने की अपेछा अपने अपने मोबाइल में विशेषकर सोशलनेटवर्किंग साइटों पर ही अधिक व्यतीत करते हैं।बच्चे से लेकर बूढ़े तक किसी को फुर्सत नहीं है कि वे एक दूसरे की संवेदनाओ को समझे।माँ की ममता को भी सोशलमीडिया ने कमजोर कर दिया है। मम्मी टिकटॉक का वीडियो बनाने में या यूट्यूब पर सौदर्य प्रसाधन के वीडियो देखने में व्यस्त हैं तो बच्चे गेमिंग या यूट्यूब पर कार्टून देखने मे व्यस्त हैं।क्या बात है आज सोशलमीडिया ने आभासी संसार को कनेक्ट कर परिवार को आपस मे डिस्कनेक्ट कर दिया है।आज रिश्तों के टूटने में सोशलमीडिया बहुतहद तक जिम्मेदार है।
4- सोशलमीडिया(social media) के लाभ-
- सोशल मीडया सूचनाओं का आदान प्रदान करने का एक बड़ा माध्यम है।
- सोशल मीडिया तक लोगों की आसानी से पहुँच होती है अर्थात छोटा-बड़ा ,अमीर-गरीब ,शिक्षित-अशिक्षित सभी आज के समय मे सोशल नेटवर्किंग साइट्स से आसानी से जुड़ जाते हैं।
- इसका प्रयोग आसान है।
- सोशलमीडिया के माध्यम आज सूचनाओं का आदान प्रदान सुगम हुआ है।
- आज अंतिम छोर पर खड़ा व्यक्ति भी अपनी अभिव्यक्ति करने में सक्षम हुआ है।
- सोशलमीडिया ने लोकतंत्र को मजबूत किया है क्योंकि लोकतंत्र की आत्मा अभिव्यक्ति की स्वंत्रता है और यही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सोशलमीडिया के माध्यम से प्रकट हुई है।
- सोशलमीडिया ने जनता को विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करने का प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है।
- सोशलमीडिया ने मार्केटिंग को आसान बनाया है और किसी उत्पाद या ब्रांड के प्रचार को व्यापक उपभोक्ताओं तक पहुँचाया है।
- सोशल मीडिया के द्वारा आज एक साथ करोड़ो लोगों से संवादकिया जा सकता है अर्थात मॉसकम्युनिकेशन को आसन किया है।
5- सोशलमीडिया(social media) का दुष्प्रभाव-
- सोशल मीडिया पर सूचनाओं की भरमार होती है उनमें से बहुत सी सूचनाएं भ्रामक भी होती हैं।
- सोशल मीडया पर हजारों की संख्या में लोग जुड़े होते हैं इसलिए इनके द्वारा अफ़वाहें बहुत तेजी से फैलती हैं।
- सोशल मीडिया के दुरूपयोग से आज समाज ,रिस्ते टूट रहे हैं एवं युवाओं पर इसका गलत प्रभाव पड़ रहा है।
- सोशलमीडिया पर कुछ ऐसे तत्व भी सक्रिय रहते हैं जो समाज को जोड़ने व समरसता फैलाने के बजाय समाज को तोड़ने व नफरत फैलाने का काम करते हैं।
- सोशल मीडिया द्वारा शरारती तत्व आसानी से समाज में हिंसा ,अगजनी ,दंगे और विद्वेष फैलाते हैं।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नामपर सोशलमीडिया मीडिया द्वारा देशविरोधी तत्व देश की अखंडता पर प्रहार करते हैं।देश को तोड़ते हैं।
- साइबर अपराध को बढ़ावा।
6- सोशलमीडिया(social media) और गांव-
सोशलमीडिया ने आज गांव के जीवन को बहुत प्रभावित किया है।ग्रामीण जीवन पर यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनो रूपों में परिलक्षित हुआ है।
सोशलमीडिया ने आज गांव के जीवन को आसान किया है।किसान ,कामगार, ग्रामीण शिल्पकार ,युवाओं सभी को आकर्षित किया है और उनके जीवन को बदला है।किसान अपनी फसल संबंधित आवश्यक जानकारी आसानी से एक दूसरे के साथ व्यापक जनसमूह में साझा कर सकता है।किसान अपनी प्रभावित फसल का फोटो खींच कर सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों द्वारा दूर बैठे विशेषज्ञों को भेज सकता है और विशेषज्ञों से उचित सलाह ले सकता है।अपने उत्पाद का प्रचार प्रसार कर सकता है।सबसे अहम बात है कि दूर दराज गांव में बैठा एक किसान खेतीबाड़ी से संबंधित ग्रुप से जुड़कर आसानी से सूचनायें आदानप्रदान कर सकता है।वास्तव में सोशलमीडिया किसानों की तमाम समस्यों का समाधान करने में महती भूमिका अदा कर रही है।
आज सोशलमीडिया ग्रामीण युवाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव का वाहक बनी है।आज घर बैठे युवा शिक्षा सम्बंधी, रोजगार सम्बंधी तमाम जानकारियों से अद्यतन रहते हैं।शैक्षिक ग्रुप से जुड़कर आसानी से अध्ययन सामग्री व शैक्षिक सूचनाओं को साझा करते हैं।
आज पंचायत सम्बंधित कार्यों में या अपने गांव के विकास में रुचि रखने वाले युवा तमाम सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर ग्रामीणों से साझा करते हैं ।उन्हें जागरूक करते हैं ।यह सब सोशलमीडिया मीडिया द्वारा ही संभव हुआ है।
एक और जहाँ सोशल मीडिया गांव में बदलाव का वाहक बनी है वहीं दूसरी ओर ग्रामीण जीवन में इसके नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं।लगभग एक दशक पहले जहाँ युवा अपना खाली समय बुजुर्गों के पास बैठ कर ,उनके अनुभवों को सुनकर , उनसे ज्ञानवर्धक बातें सीखकर व्यतीत करता था।इस चौपाल में बुजुर्गों व युवाओं दोनों को अच्छा लगता था ,दोनों लाभान्वित होते थे।अद्भुत ग्रामीण परिवेश का निर्माण होता था ।बुजुर्गों संग युवाओं के इस मेलमिलाप से एक तरफ जहाँ बुजुर्ग अकेलेपन से दूर रहते थे वहीं युवा उनके अनुभवों ,नैतिक मूल्यों से सीखकर अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते थे।इस तरह ज्ञान का ,अनुभवों का, एवं नैतिक मूल्यों का पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानन्तरण होता रहता था।पर सोशलमीडिया ने यह सब समाप्त कर दिया है।आज युवाओं को अपने मोबाइल फोन से ,सोशल मीडिया से फुर्सत ही नहीं है कि वह अपना कुछ समय अपने बुजुर्गों को दें,उनके अनुभवों को सुने ,इतिहास से रूबरू हो।सोशलमीडिया ने वह सब समाप्त कर दिया है ।गांव के परिवेश को बदल दिया है।आज गांव का जीवन भी शहरी जीवन जैसा एकाकी हो गया है।आज गांव में बुजुर्ग भी अकेला है और युवा सोशलमीडिया पर हजारों दोस्त होने के बावजूद भी अकेला और अवसादग्रस्त है ।
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