ग्राम पंचायत क्या है ? ग्राम पंचायत ग्राम सभा मे अंतर

ग्राम पंचायत क्या है ?





     ग्राम पंचायत ग्राम सभा की कार्यकारणी इकाई है जिसका चुनाव ग्राम सभा द्वारा प्रत्येक पांच वर्ष पर किया जाता है।ग्राम पंचायत में एक अध्यक्ष ,एक उपाध्यक्ष व पंच होते हैं।अध्यक्ष को प्रधान/सरपंच/मुखिया  कहते हैं व उपाध्यक्ष को उप प्रधान कहते हैं।सदस्यगण को पंच कहते हैं।ग्राम पंचायत ही गांव में पंचायतीराज अधिनियम द्वारा प्रदत्त 29 विषयों सम्बंधित कार्य, सरकारी योजनाओं व अन्य विकास कार्यों को निष्पादित करती है  तथा अपने प्रत्येक कार्य के लिए  ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।ग्राम पंचायत क्या है ? और ग्राम पंचायत ग्राम सभा  में क्या अंतर अधिकांश लोग भ्रमित हो जााते हैं व दोनो को एक ही समझ लेेते हैैं जबकि दोनों में अंतर है।


ग्राम पंचायत व ग्राम सभा में अंतर-

ग्रामपंचायत ग्राम सभा द्वारा निर्वाचित एक कार्यकारी समिति होती है जबकि ग्राम सभा गांव या गांव समूहों के समस्त सदस्य जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ,से मिलकर बनती है है।अर्थात गांव के वे सभी सदस्य जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज होता है ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।अतः किसी गांव की ग्राम सभा उस गांव के मतदाता सूची में शामिल व्यक्तियों द्वारा निर्मित होती है और ग्रामपंचायत ग्राम सभा द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की सभा होती है।

     एक उदाहरण द्वारा ग्राम पंचायत और ग्राम सभा के अंतर को और अधिक अच्छे से समझा जा सकता है।माना किसी गांव की कुल जनसंख्या एक हजार (1000) है जिसमे से सात सौ(700)जनसंख्या का नाम मतदाता सूची में दर्ज है।तो उस गांव की ग्राम सभा मतदाता सूची में दर्ज इन सात सौ (700)व्यक्तियों से ही निर्मित होगी तथा मतदाता सूची में दर्ज यही सात सौ व्यक्ति ही ग्रामसभा के सदस्य कहलायेंगें। इन्ही ग्रामसभा के सदस्यों में से कुछ व्यक्ति ग्राम पंचायत चुनाव में उम्मीदवार होंगे और ग्रामसभा के सदस्यों द्वारा चुने जायेंगे।  निर्वाचित सदस्य से ही ग्राम पंचायत का गठन होता है और यही निर्वाचित सदस्य ही ग्राम पंचायत के सदस्य होते हैं। 
      ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में  निम्नलिखित कुुछ और अंतर हैंं-
  1. ग्राम सभा स्थायी निकाय होता है जबकि ग्राम पंचायत अस्थायी निकाय होता  है।
  2. 18वर्ष या इससे अधिक आयु का कोई व्यक्ति जिसका मतदाता सूची में नाम दर्ज है ,ग्राम सभा का सदस्य होता है जबकि ग्राम पंचायत का सदस्य पंचायत चुनाव में ग्राम सभा द्वारा निर्वाचित व्यक्ति  होता है।
  3. ग्रामसभा जहाँ ग्रामपंचायत  के कार्यों की निगरानी करती है वही ग्राम पंचायत एक कार्यकारणी समिति होती है जो अपने प्रत्येक कार्य के लिये ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
  4. ग्रामपंचायत अधिकारी जहाँ ग्राम पंचायत के प्रति उत्तरदायी होता है वहीं ग्राम विकास अधिकारी ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होता है।

भारत मे ग्राम पंचायत की शुरुआत-

    भारत में प्राचीनकाल से ही गांव  स्वायत्त थे।वे अपना शासन स्वयं करते थे ।देश की आजादी के समय गांधी जी ने   ग्राम स्वराज  का सपना देखा था। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने गांधी जी के सपने को पंचायतीराज के रूप में 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गांव में पूर्ण   किया ।तब से भारत में गांवों को एक नई शक्ति प्राप्त हुई । 
 
     पंचायती राज प्रणाली को और अधिक जनोमुखी बनाने के लिये बलवन्त राव मेहता ने त्रिस्तरीय पंचायत की परिकल्पना प्रस्तुत की ।जिला स्तर पर जिला पंचायत ,तहसील या तालुका स्तर पर पंचायत समिति व ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत ।
1992 में 73 वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर गांधी जी के ग्राम स्वराज के सपने को और अधिक सशक्त बनाया गया।

   आज भारत में लगभग  2 लाख 55 हजार ग्राम पंचायत हैं तथा 31 लाख निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि जिसमे से 49 प्रतिशत महिला जनप्रति निधि हैं।
 

  ग्राम पंचायत की संरचना-

     प्रधान/सरपंच ,उप प्रधान व पंच(वार्ड मेंबर) से मिलकर बनी इकाई को ग्राम पंचायत कहते हैं।ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव ग्राम सभा के द्वारा होता है ।जिसमे एक अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष व सदस्य चुने जाते हैं ।अध्यक्ष को प्रधान/सरपंच/मुखिया कहते हैं व सदस्य को पंच कहते हैं।ग्राम पंचायत के सदस्य अपने मे से एक उपाध्यक्ष/उपप्रधान का चुनाव करते हैं ।प्रधान ग्राम पंचायत का प्रमुख होता है ।वह ग्राम पंचायत के समस्त कार्य ग्राम पंचायत के सदस्यों के सहयोग से क्रियान्वित करता है।

 गांव को जनसंख्या के आधार पर कई वार्डों में बांटा जाता है 1000 जनसंख्या पर 9 वार्ड होते हैं ( तालिका नीचे दी हुई है )इन वार्डों से वार्ड सदस्य अर्थात पंचों का चुनाव होता है।

  

वार्डों का विभाजन-


 
जनसंख्या 

   
वार्ड  
    संख्या      
1000
                          

      9
    


 2000                


     11          

 
 3000 
  
             
 
     13


 
 3000 से
 अधिक

                          
      15         
                   
    


 ग्राम पंचायत चुनाव प्रक्रिया-

 
    ग्राम पंचायत का चुनाव प्रत्येक पांच वर्ष पर होता है। राज्य निर्वाचन आयोग पंचायतों का निर्वाचन कराती है।राज्य सरकार राज्य निर्वाचन आयोग की सलाह  से अधिसूचना जारी करती हैं। ततपश्चात  राज्य निर्वाचन आयोग प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा पंचायत चुनाव कराती है।

   यदि चुनाव प्रक्रिया द्वारा प्रधान पद का चुनाव नहीं हो पाता है एवं एक तिहाई सदस्य भी  निर्वाचित नहीं हो पाते हैं तब ग्राम पंचायत का प्रसाशन जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्राधिकृत तहसील स्तर के अधिकारियों की एक समिति को सौंप दिया जाता है।प्रधान के सभी अधिकार इस समिति के पास होते हैं यह समिति  6 माह तक कार्य करती है।6 माह में    चुनाव    कराना  आवश्यक होता है


  यदि प्रधान या किसी सदस्य का पद उसके कार्यकाल के बीच मे रिक्त हो जाता है।तो शेष कार्यकाल के लिए  प्रधान या सदस्य का चुनाव 6 माह के अंदर कराना आवश्यक होता है।यदि कार्यकाल 6माह या इससे कम का बचा है और उस समय प्रधान या किसी सदस्य का पद रिक्त हो जाता है तब चुनाव नहीं कराये जाते हैं।इस स्थिति में प्रधान का पद रिक्त होने पर शेष कार्यकाल के लिये समस्त शक्तियां पंचो द्वारा नामित किसी सदस्य को स्थानन्तरित कर दी जाती हैं।

ग्राम पंचायत व ग्राम पंचायत सदस्यों की अवधि-

  ग्राम पंचायत एक  अस्थाई निकाय है।ग्राम पंचायत  की अवधि  ग्राम पंचायत की प्रथम बैठक से पांच वर्ष तक होती है तथा ग्राम पंचायत सदस्यों की अवधि शपथ ग्रहण की तिथि से पांच वर्ष तक होती है।

ग्राम पंचायत में आरक्षण-


 ग्राम पंचायत में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण की नीति को अपनाया गया है ।आरक्षण की यह नीति चक्राक्रम  में प्रत्येक  ग्राम में लागू होती है।ताकि बारी बारी से सभी वर्ग पंचायत चुनाव में भाग ले सकें।

ग्राम पंचायत में कुल सीटों का 50 फीसदी अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित होती हैं तथा शेष 50 फीसदी सीटे अनारक्षित होती हैं।आरक्षित सीटों में 27 फीसद ओबीसी(अन्य पिछड़ा वर्ग)की होती हैं।

ग्राम पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण-


 73 वें संविधान संशोधन ने पंचायतों को मजबूत एवं सशक्त किया है।सशक्तिकरण के इसी क्रम में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायत में महिलाओं के लिये 33 फीसदी सीटे आरक्षित की हैं।यही नही संसद पंचायत में महिलाओं के आरक्षण को 33 फीसद से 50 फीसद तक करना चाहती है।कुछ राज्यों ने (बिहार,मध्यप्रदेश, झारखंड) तो अपने यहाँ महिलाओं के लिये 50 फीसद आरक्षण को लागू भी कर दिया है।


ग्राम पंचायत की बैठक-


  पंचायतों की नियमित व सक्रिय बैठक पंचायतीराज की सफलता के लिए अतिआवश्यक है।इसी उद्देश्य से पंचायतीराज ने पंचायतों की नियमित बैठक का प्रावधान किया है।

  ग्राम पंचायत की कम से कम एक  बैठक प्रत्येक माह में होना अनिवार्य है।किंतु दो बैठकों के मध्य दो माह का अंतर नहीं होना चाहिए।

 ग्राम पंचायत की बैठक में पंचायत के एक तिहाई सदस्य उपस्थित होना अनिवार्य है।  बैठक  की अध्यक्षता ग्राम प्रधान करता है।ग्राम प्रधान की अनुपस्थिति में उप प्रधान बैठक की अध्यक्षता करता है ।दोनों की अनुपस्थिति में ग्राम प्रधान द्वारा नामित कोई भी सदस्य बैठक की अध्यक्षता करता है।

 ग्राम पंचायत में विशेष बैठक का भी प्रावधान है ।यदि कुल सदस्य का 1/3 सदस्य प्रधान से विशेष बैठक बुलाने को कहते हैं तो ग्राम प्रधान  15 दिन में विशेष बैठक बुलाता है।यदि प्रधान बैठक बुलाने से मना करता है तब ग्राम पंचायत अधिकारी ऐसी बैठक आहूत करता है।

 प्रत्येक बैठक ग्राम पंचायत के भवन में ही आहूत की जाती हैं  तथा ग्राम प्रधान को किसी भी बैठक को बुलाने से पूर्व बैठक संबन्धी नोटिस ग्राम पंचायत कार्यालय में चस्पानी होती है ताकि सभी सदस्य बैठक की कार्यवाही से अवगत हो जायें।


ग्राम पंचायत की समितियां-


ग्राम पंचायत का कार्य देखने के लिए 6 समितियों का प्रावधान किया गया है 

  1. नियोजन एवं विकास समित-

 इस समिति अध्यक्ष सहित कुल सात सदस्य होते हैं।प्रधान इस समिति का अध्यक्ष होता है।एस सी,एस टी , अन्य पिछड़ा वर्ग व महिला सदस्य का एक एक सदस्य होना अनिवार्य है।यह समिति प्रमुख समिति होती है 

     2.  प्रशासन समिति-

     इस समिति की संरचना नियोजन एवं विकास समिति की तरह होती है।

     3.  शिक्षा समिति -

 इस समिति में ग्राम प्रधान द्वारा नामित एक अध्यक्ष होता है व 6 अन्य सदस्य होते हैं।आरक्षण की प्रक्रिया सभी स्मतियों में समान होती है।इस समिति में प्राथमिक स्कूल के अध्यापक को भी शामिल किया जाता है।यह समिति स्कूल संबन्धी कार्य देखती है।

     4. लोक निर्माण समिति-

इस समिति में भी प्रधान द्वारा नामित एक अध्यक्ष होता है व 6 अन्य सदस्य होते हैं।

     5. जल प्रबन्ध समिति-

इसकी सरंचना भी उपरोक्त समिति की तरह है।यह समिति जल प्रबंधन सम्बन्धी कार्य करती है।

     6. स्वास्थ्य कल्याण समिति-

इसकी संरचना भी उपरोक्त समिति की तरह है।यह समिति पंचायत में स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य देखती है।


ग्रामपंचायत के कार्य-

पंचायतीराज अधिनियम द्वारा ग्राम पंचायत को 29 विषयों से संबंधित कार्य प्रदान किये गए हैं।ये 29 विषय निम्ननलिखित हैं-

  1. कृषि सम्बन्धी कार्य
  2. भूमिविकास,भूमि सुधार ,चकबन्दी और भूमि संरक्षण का कार्य
  3. लघु सिचाई ,जल व्यवस्था ,जल आच्छादन सम्बन्धी कार्य
  4. पशुपालन ,दुग्ध उद्योग ,कुक्कुट पालन और मत्स्य पालन सम्बन्धी कार्य
  5. सामाजिक और कृषि वानिकी
  6. लघु वन उत्पाद
  7. लघु उद्योग
  8. कुटीर और ग्राम उद्योग
  9. ग्रामीण आवास
  10. पेयजल
  11. ईंधन और चाराभूमि
  12. सड़क ,पुलिया ,पुलों,नौकाघाट,जलमार्ग और संचार के अन्य सांधनो सम्बन्धी कार्य
  13. ग्रामीण विद्युतीकरण सम्बन्धी कार्य
  14. गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोत सम्बन्धी कार्य
  15. गरीबी उन्मूलन सम्बन्धी कार्य
  16. शिक्षा सम्बन्धी कार्य
  17. ग्रामीण शिल्प एवं शिल्पकारों की उन्नति सम्बन्धी कार्य
  18. प्रौढ़ शिक्षा 
  19. पुस्तकालय 
  20. खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्बन्धी कार्य
  21. बाजार और मेला
  22. चिकित्सा और स्वच्छता
  23. परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्य
  24. प्रसूति और बाल विकास
  25. समाज कल्याण
  26. कमज़ोर वर्गों हेतु समाज कल्याण कार्यक्रम में भाग लेना 
  27. सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  28. सार्वजनिक परिसम्पत्तियों का अनुरक्षण।
  29. आर्थिक विकास सम्बन्धी कार्य


ग्रामपंचायत की शक्तियां-

पंचायतीराज अधिनियम ने गांव पंचयतों को सशक्त बनाने के लिये अनेक शक्तियां प्रदान की हैं ताकि पंचायत अपना निर्णय स्वंय करने में सक्षम हों।पंचायत अपनी ग्राम सभा में  करों को लगा सकती हैं।मेला बाजार हाटों पर कर लगा सकती हैं।ग्राम की स्वच्छता के लिये ग्रामवासियों से कर वसूल सकती हैं।इस प्रकार ग्राम पंचायत के पास अनेक शक्तियां होती हैं जिनके द्वारा वह गांधी जी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करती हैं



जमीनी हकीकत-

 दोस्तों पंचायती राज ने भले ही हमारी ग्राम पंचायतों को खूब सशक्त किया हो पर अभी भी हम ग्राम स्वराज से कोसों दूर हैं ।क्योंकि किताबों और पंचायतीराज अधिनियम की बहुत सी बातें अभी जमीन पर नहीं हैं।अभी भी ग्राम पंचयत या ग्राम सभा की बैठकों से आमजन दूर है।पंचायत की बैठक हो या ग्राम सभा की बैठक प्रधान गुपचुप रूप से आयोजित कर लेता है या कहीं कहीं तो यह बैठक सिर्फ कागजों पर ही आयोजित हो जाती हैं तो ऐसे कैसे कोई ग्रामीण अपने गाँव के विकास कार्यों में सहभागी बन सकता है ,कैसे पंचयतों के निर्णयों में सहभागी बन सकता है , कैसे वह लोकतंत्र की प्रथम पाठशाला में  अपनी भागीदारी निभा सकता है ?
   
  आज भी अधिकतर ग्रामीण अपने पंचायत सम्बन्धी ,ग्राम सभा सम्बन्धी अधिकारों को नहीं जानते हैं और यदि कहीं कोई जागरूक व्यक्ति इन अधिकारों की बात करता है तो उसे अधिकारी से लेकर ग्राम प्रधान तक सभी चुप करा देते है।सच में किताबों और पंचायतीराज अधिनियम में कुछ और है और जमीनी हकीकत कुछ और।

 आज ग्राम सभा का सदस्य सिर्फ पांच वर्ष पर  वोट डालने तक समिति रह गया है ।वह अपने अधिकारों से अनभिज्ञ है।वह नहीं जानता कि सिर्फ ग्राम प्रधान वोट देना ही हमारा अधिकार नहीं है अपितु ग्रामप्रधान से प्रश्न पूंछना भी मेरा अधिकार है।आज ग्रामीणों की उदासीनता एवं प्रधानों ,अधिकारियों की अनैतिकता और भ्रष्टाचार ने पंचायतीराज को मजाक बना कर रख दिया है।

 मेरे ग्रामीण दोस्तों अपने अधिकारों के प्रति सजग हो और अपने गांव के विकास कार्यों में सहभागी बनों।अपने आस पड़ोस को पंचायती राज सम्बन्धी अधिकारों से अवगत कराओ।उन्हें जागरूक करो।इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको पंचायतीराज सम्बन्धी जानकारी प्रदान कर आपको सशक्त बनाना है।

  दोस्तों "ग्राम पंचायत क्या है ?" ब्लॉग आपको कैसा लगा ?अपनी  प्रतिक्रिया और सुझाव जरूर दीजिये।अगर आपको मेरा ब्लॉग पसन्द आया हो तो शेयर जरूर कीजिये।दोस्तों अगले ब्लॉग में ग्राम सभा  के बारे में चर्चा करेंगे।पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद।


महत्त्वपूर्ण लिंक-

https://www.panchayat.gov.in

Previous
Next Post »

23 टिप्पणियाँ

Click here for टिप्पणियाँ
बेनामी
admin
20 जून 2020 को 7:42 am बजे ×

Bahut achchhe jaankari

Reply
avatar
बेनामी
admin
20 जून 2020 को 10:33 pm बजे ×

Thanks for precious knowledge

Reply
avatar
बेनामी
admin
20 जून 2020 को 10:42 pm बजे ×

Nepotism पर भी कुछ लिखिए

Reply
avatar
बेनामी
admin
20 जून 2020 को 11:07 pm बजे ×

"ग्राम पंचायत" बहुत ही सुंदर लेख !!!

Reply
avatar
Om
admin
20 जून 2020 को 11:22 pm बजे ×

Bhot shai tareka sa explain kia hai ❣️❣️

Reply
avatar
20 जून 2020 को 11:27 pm बजे ×

Very nice��.... Thanks for providing such a huge knowledge about it❤

Reply
avatar
21 जून 2020 को 1:06 am बजे × इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
avatar
21 जून 2020 को 1:15 am बजे ×

नेपोटिस्म पर जल्द ही लिखूँगा ।आपको यह पोस्ट कैसा लगा।कृपया आपके सुझाव का आकांक्षी हूँ।कृपया मेरे ब्लॉग को फॉलो कर लीजियेगा ताकि अगले पोस्ट की जानकारी मिल जाये।आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Reply
avatar
21 जून 2020 को 1:16 am बजे ×

बहुत बहुत धन्यवाद भाई

Reply
avatar
21 जून 2020 को 1:16 am बजे ×

बहुत बहुत धन्यवाद

Reply
avatar
21 जून 2020 को 1:18 am बजे ×

बहुत बहुत धन्यवाद

Reply
avatar
Bhanu Mishra 1008
admin
21 जून 2020 को 7:02 am बजे ×

It's amazing to have this acquaintance.

Reply
avatar
Sanskriti tiwari
admin
21 जून 2020 को 7:36 am बजे ×

सही है अमन तुम ब्लॉग भी लिखने लगे...... ��

Reply
avatar
Unknown
admin
21 जून 2020 को 10:54 am बजे ×

Very nice information for young and elder

Reply
avatar
Rashika
admin
21 जून 2020 को 11:36 am बजे ×

Keep it on mama ji��

Reply
avatar
Unknown
admin
24 जून 2020 को 11:27 am बजे ×

Lot of thanks bhya n nice your blogg

Reply
avatar
Unknown
admin
24 जून 2020 को 3:06 pm बजे ×

बहुत ही शानदार जानकारी

Reply
avatar
Unknown
admin
24 जून 2020 को 3:07 pm बजे ×

बहुत ही शानदार जानकारी

Reply
avatar