गांव जहाँ देश की आत्मा बसती है आज तमाम अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं।पंचायतीराज जिसके द्वारा हमारे महापुरुषों ने गांवों को सशक्त बनाने का सपना देखा था आज पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार ने उसे तोड़ दिया है।सुना है देश की तरक्की का रास्ता गांवों से होकर जाता है।यह सच है पर गांवों में व्याप्त भ्रष्टाचार ने इसे अवरुद्ध कर दिया है।भ्रष्टाचार ने देश की आत्मा(गांव) को जकड़ लिया है।गांव इस भ्रष्टाचार से आजादी के लिए छटपटा रहे हैं। सुभाष, भगत और गांधी को पुकार रहे हैं। आप क्यों चुप हैं ? आप क्यों शांत हैं ? आप क्यों नहीं आपने गांव की आवाज बनते हैं ? आपका मौन ही ग्रामीण भ्रष्टाचार का कारण है ।दोस्तो आपसब उठो, गांव के लुटेरों को सबक सिखाओ और पंचायतीराज के सपने को साकार करो।आप युवा ही हमारे गांवों को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिला सकते हैं ।आपकी सजगता ही गांव को भ्रष्टाचार से आजदी दिलाएगी।
दोस्तों ये ब्लॉग,ये मंच आपको अपने गांव को सशक्त और समृद्ध बनाने में मदद करेगा।हमारा प्रयास आपको आपके अधिकारों से रूबरू कराना है, आपको सशक्त बनाना है , ग्राम पंचायत जागरण करना है,प्रत्येक ग्रामीण को जागरूक करना है ताकि कोई भी भ्रष्ट अधिकारी,कर्मचारी या ग्रामप्रधान(सरपंच)गांवों को लूट न सके, आपके हक को न मार सके।
आपके विचारों एवं सुझावों का स्वागत है।
जगो नागरिक,जानो अधिकार
दूर करो भ्रष्टाचार।
7 टिप्पणियाँ
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Replyअत्यंत सराहनीय लेख भैया.
Replyबाक़ी रही बात मौन की तो कहीं न कहीं अपने हितों की रक्षा के लिए मुझे लगता है व्यक्ति स्वयं कयी बार लाचार हो जाता है क्योंकि जो मकड़जाल बुना हुआ है उसे पार पाना अत्यंत मुश्किल जान पड़ता है क्योंकि हमारे ग्रामीण जनों में मुझे लगता है कि शायद लालच और सत्ता पक्ष का भय दो ऐसी बहुत ही भयंकर आदतें हैं जो कि उसे नए प्रयोगों से इतर वही पुरानी पगडंडियों पर दौड़ने का पुरजोर प्रयास करती रहती हैं,
जिसे देखकर बहुत ही दुःख होता है। बस, इसका उपाय हो जाए तो मुमकिन है कि ग्राम स्वराज काफ़ी हद तक साकार हो जाएगा।
बाकी तो जैसा मैंने देखा कि स्वशासन जैसी व्यवस्था केवल काग़ज़ों तक सीमित रह गया है क्योंकि एक दुर्भाग्यपूर्ण सत्य य़ह भी है कि कहीं न कहीं ग्राम पंचायत की सत्ता तो कुछ एक लोगों के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है।
अगर कुछ अनुचित लिखा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ।
धन्यवाद!
बहुत ही सार्थक एक लंबी लड़ाई
Replyबिल्कुल
Replyबिल्कुल समस्याएं बहुत हैं पर समाधान भी युवाओं की की खोजना है
Replyजी धन्यवाद,यह लड़ाई सबके बिना अधूरी है
Replyअत्यंय सराहनीय लेख बन्धुवर
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