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ग्रामपंचायत की समितियां -
दोस्तों ग्रामपंचायत गाँव की कार्यपालिका अर्थात मन्त्रिमण्डल होती है और पंचायत समितियां एक प्रकार का मंत्रालय होती हैं जो ग्राम पंचायत के 29 विषयों (कार्यों) के क्रियान्वयन के लिये बनाई जाती हैं ताकि ग्राम पंचायत सहभागिता एवं जनभागीदारी के साथ सुचारू रूप से कार्य कर सके ।
ग्रामपंचायत समितियों का इतिहास -
73 वें संविधान संशोधन द्वारा जब पंचायतों को संवैधानिक स्वरूप प्रदान किया गया तब पंचायतीराज अधिनियम की धारा 29 में ग्राम समितियों को संगठित करने की बात कही गयी है परंतु अधिनियम में समितियों के गठन की विस्तृत रूपरेखा नहीं प्रस्तुत की गई है।अधिनियम में राज्यों को ग्राम पंचायत समितियों के गठन के सम्बन्ध में अधिसूचना के द्वारा ग्रामपंचायतों को निर्देशित करने की बात कही गयी है
पंचायतों को संवैधानिक स्वरूप प्राप्त होने के बाद उत्तर प्रदेश में 1995 में ग्राम पंचायत के चुनाव सम्पन्न हुये ।परन्तु 4 वर्ष तक ग्राम पंचायतें समितियों के बिना ही कार्य करती रहीं ।1999 में जब ग्राम पंचायतों का कार्यालय लगभग समाप्त होने वाला था तब उत्तप्रदेश सरकार ने 29 जुलाई 1999 को ग्राम पंचायतों में समितियों के गठन सम्बन्धी अधिसूचना जारी की।परन्तु अभी भी ग्रामपंचायत समितियों के गठन सम्बन्धी नियमावली की आवश्यकता थी।सरकार ने 13 सितम्बर 2002 को ग्रामपंचायत समिति सम्बन्धी नियमावली जारी की । जिसमे समितियों के गठन से सम्बंधित आवश्यक बातों का विस्तार से उल्लेख किया गया।उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत समितियों का गठन 2002 की नियमावली के अनुरूप होता है।
नियमावली के प्रमुख बिंदु -
- सर्वसम्मति से ,हाँथ उठाकर मतदान द्वारा या आरोही क्रम में से किसी एक माध्यम से समितियों में ग्राम पंचायत सदस्यों का चुनाव किया जाता है।
- समिति के गठन के उपरांत प्रधान उसी बैठक में गठित समितियों की घोंषणा करता है।
- प्रत्येक समिति व उनके सदस्यों के नामों को कागज पर उतार लिया जाता है उसकी तीन प्रतियां तैयार कर ली जाती हैं।प्रत्येक प्रति पर प्रधान व सेक्रेटरी के हस्ताक्षर होते हैं।
- एक प्रति ग्राम पंचायत भवन के नोटिस बोर्ड पर चस्पा दी जाती है।
- दूसरी प्रति ए डी ओ पंचायत को भेज दी जाती है।
- तीसरी प्रति डी पी आर ओ को भेज दी जाती है।
ग्राम पंचायत समितियां क्या होती हैं-
ग्राम पंचायत समितियां एक तरह से मंत्रालय होते हैं ।समिति को प्राप्त विषय या विभाग को उसका मंत्रालय कहते हैं मंत्रालय अर्थात समिति उस विषय या विभाग पर कार्य करती है और अपनी रिपोर्ट विधायिका अर्थात ग्रामसभा को सौंपती है ।ग्रामसभा में चर्चा उपरांत क्रियान्वयन हेतु कार्यपालिका अर्थात ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत की जाती है ।
दोस्तों आप सभी जानते हैं कि 73 वें संविधान संशोधन द्वारा ग्राम पंचायतों को 29 विषय प्रदान किये गए हैं जिनपर ग्राम पंचायत सहभागिता ,जनभागीदारी के आधार पर समस्याओं का चिंन्हीकरण करती है ,योजना बनाती है ,प्राप्त संसाधनों के आधार पर प्रत्येक योजना के लिये बजट स्वीकृत करती है और योजनाओं का क्रियान्वयन करती है।ग्राम पंचायत योजनाओं का क्रियान्वयन इन्ही समितियों के माध्यम से ही करती है।
ग्राम पंचायत के 29 विषय कौन से होते हैं जानने के लिये नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें-
ग्रामपंचायत में कितनी समितियां होती हैं एवं उनके नाम-
उत्तरप्रदेश में ग्राम पंचायत समितियों की संख्या 6 निर्धारित की गई है ।कुछ राज्यों में 6 से अधिक ग्राम पंचायत समितियों का प्रावधान है।बिहार राज्य में ग्राम पंचायत की 8 समितियां होती हैं।
उत्तर प्रदेश में निम्नलिखित 6 समितियां होती हैं
- नियोजन एवं विकास समिति
- शिक्षा समिति
- निर्माण कार्य समिति
- स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति
- प्रशासनिक समिति
- जल प्रबंधन समिति
दोस्तों आइये प्रत्येक समिति के बारे में विस्तार से जानते हैं
- नियोजन एवं विकास समिति -
नियोजन एवं विकास समिति छः समितियों में से एक महत्वपूर्ण समिति होती ।यह समिति अन्य समितियों के नियोजन में भी सहयोग करती है।
नियोजन एवं विकास समिति का गठन -
- प्रधान इस समिति का सभापति होता है।
- छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य होना ,एक महिला सदस्य का होना व एक पिछड़ा वर्ग का सदस्य होना अनिवार्य है।
- प्रत्येक समिति में अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।विशेष आमंत्रित सदस्य समितियों की बैठक में भाग ले सकते है ,चर्चा कर सकते हैं अपने विचार प्रकट कर सकते हैं पर मतदान में हिस्सा नहीं ले सकते हैं।
नियोजन एवं विकास समिति के कार्य-
- यह समिति ग्राम विकास की योजना बनाती है।
- कृषि,पशुपालन एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का संचालन इस समिति के द्वारा किया जाता है।
- यह समिति सभी अन्य समितियों के नियोजन निर्माण में भागीदारी करती है।
- नियोजन एवं विकास समिति ही ग्राम सभा की बैठक में लाभार्थियों का सही चयन सुनिश्चित करती है।
2. शिक्षा समिति-
- इस समिति का भी सभापति प्रधान होता है।
- छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमें से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का होना ,एक महिला सदस्य का होना और एक पिछड़ावर्ग का सदस्य होना अनिवार्य है।
- इस समिति में भी अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।
- प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करना ।
- पढ़ाई की गुणवत्ता की जाँच करना ।
- विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति की जाँच करना।
- प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई के स्तर को सुधारने के लिये आधारभूत सुविधाओं जैसे भवन,जल ,किताबें और शौचालयों को प्रदान करने हेतु योजना तैयार करती है एवं ग्राम पंचायत की बैठक में प्रस्तुत करती है।
- यदि स्कूल सम्बन्धी कार्यों में किसी प्रकार समस्या आ रही है तो इसकी लिखित रूप से शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी को करती है।
- यह समिति पंचायत में गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा हेतु एक अनुकूल वातावरण को तैयार करती है।
- यह समिति उचित वातावरण निर्माण हेतु विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं शिक्षकों के बीच समन्वय स्थापित करती है।
3. निर्माण कार्य समिति
निर्माण समिति का गठन -
- इस समिति का सभापति वार्ड सदस्य द्वारा अपने बीच से चुना जाएगा।
- इस समिति का सभापति वार्ड सदस्य अर्थात पंच होता है।
- छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे एक अनुसूचित जाति या जनजाति का होना ,एक महिला सदस्य का होना व एक पिछड़ावर्ग का सदस्य होना अनिवार्य है।
- अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य हो सकते हैं।
- समिति ग्राम पंचायत में कराए जा रहे सभी निर्माण कार्यों की देखरेख करती है।
- यह समिति निगरानी का कार्य करती है।
- ग्राम पंचायत म कराए जा रहे कार्यों का निरीक्षण करती है।समिति की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही कार्य के लिये धनराशि का भुगतान किया जाता है।
4. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति -
- इस समिति का सभापति वार्ड सदस्य अर्थात पंच होता है।जिसे वार्ड सदस्यों के द्वारा अपने मध्य से ही चुना जाता है।
- छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का ,एक महिला सदस्य का होना व एक पिछड़ावर्ग सदस्य का होना अनिवार्य है।
- अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।
- बच्चों एवं माताओं के टीकारण हेतु व्यवस्था करना।
- स्वास्थ्य कार्यकर्त्री एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री के साथ समन्वय स्थापित करना ।
- ग्राम पंचायतके बीमारियों की जानकारी एवं कारण का पता करना ।
- मौसमी बीमारियों से निपटने की तैयारी करना ।
- महिला एवं बाल कल्याण योजनायें क्रियान्वित करना।
- ग्राम पंचायत में साफ सफाई की व्यवस्था करना।
- पुष्टाहार पर नजर रखना एवं उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- कोई बीमारी फैल रही है तो उस परिस्थिति से निपटने की तैयारी करना ।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी नियोजन करना
5. प्रशासनिक समिति -
- इस समिति का सभापति ग्राम प्रधान होता है।
- छः अन्य सदस्य होते है जिनमे से एक अनुसूचित जाति या जनजाति का होना ,एक महिला सदस्य का होना और एक पिछड़ावर्ग का सदस्य होना अनिवार्य है।
- अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।
- यह समिति राशन की दुकानों की निगरानी करती है।देखती है कि कोटेदार सही से राशन वितरण कर रहा है या नहीं।
- ग्रामपंचायत के कर्मचारियों की निगरानी करती है।
- प्रशासनिक समिति पर ही गाँव मे शांति व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी होती है।
- यह समिति ग्राम पंचायत में लगने वाले हाट ,बाजार और मेलों पर टैक्स लगाती है।
6. जल प्रबंधन समिति -
- इस समिति का सभापति वार्ड मेम्बर अर्थात पंच होता है जिसका चुनाव वार्ड मेम्बरों द्वारा अपने बीच से किया जाता है।
- छः अन्य सदस्य होते हैं जिनमे एक सदस्य अनुसूचित जाति या जनजाति का होना,एक महिला सदस्य का होना व एक सदस्य पिछड़ावर्ग का होना अनिवार्य है।
- अधिकतम 7 विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं।
- ग्राम पंचायत में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना ।
- ग्राम पंचायत में हैंडपंप का रखरखाव रखना।
- लघु सिंचाई की व्यवस्था करना।
- जल स्रोतों की सूची तैयार करना व उनके बेहतर प्रबंधन हेतु पंचायतों को सुझाव देना।
- जल से सम्बंधित समस्याओं का नियोजन करना।
- ग्राम पंचायत का सचिव ही प्रत्येक समिति का सचिव होता है।
- प्रत्येक समिति माह में एक बैठक अवश्य करती है।
- समिति बैठक की रिपोर्ट ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करती है।
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