गाँव को आत्मनिर्भर कैसे बनाएं
भारत गाँव मे बसता है अर्थात 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के गांवों मे 68.84% जनसंख्या निवास करती है पर भारत के गांवों की दशा आजादी के 78 वर्ष बाद भी नहीं बदली । सरकारों द्वारा लगातार गांवों की सूरत बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं पर जैसी बदलनी चाहिए वैसी बदली नहीं है । जब तक सरकार और आम नागरिक मिलकर कार्य नहीं करेंगे तबतक हमारे गाँव हमारे राष्ट्रपिता के सपने से कोसों दूर रहेंगे ।
देश की तरक्की का रास्ता गाँव से होकर जाता है अर्थात गाँव की तरक्की मे ही देश की तरक्की निहित है । गाँव की तरक्की गाँव की आत्मनिर्भरता मे निहित है अर्थात जबतक गाँव आत्मनिर्भर नहीं होंगे गाँव विकसित नहीं होंगे और जब तक हमारे गाँव विकसित नहीं होंगे तबतक देश की तरक्की का रास्ता बाधित रहेगा ।
आइए जानते हैं कि हम अपने गाँव को आत्म निर्भर कैसे बनाएं :-
गाँव को आत्म निर्भर बनाने के पाँच स्तम्भ हैं -
- गाँव की अर्थव्यवस्था
- गाँव का आधारभूत ढांचा
- गाँव मे तकनीक आधारित सेवाएं एवं ससुशासन
- गाँव की डेमोग्राफी व भौगोलिक क्षमता
- गाँव मे मांग और आपूर्ति के केंद्र
1 - गाँव की अर्थव्यवस्था -
गाँव की अर्थव्यवस्था कृषि ,कृषि सम्बद्ध क्रियाएं ,कुटीर उद्योग ,छोटे व्यापार आदि पर निर्भर करती है जब हमारे गाँव की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तब हमारे गाँव स्वतः ही आत्म निर्भर बन जाएंगे ।
2 - गाँव का आधारभूत ढांचा -
सड़क ,पानी ,बिजली,शिक्षा ,स्वास्थ्य आदि वे मूलभूत आवश्यकताएं हैं जिनके बिना गाँव की तरक्की का सपना साकार नहीं हो सकता है । यदि हमे अपने गाँव को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमे सर्वप्रथम अपने गाँव के आधारभूत ढांचे पर कार्य करना होगा तभी हम अपने गाँव को आत्म निर्भर बना सकते हैं ।
3 -गाँव मे तकनीक आधारित सेवाएं एवं सुशासन -
सरकारों को एवं स्थानीय सरकार अर्थात गाँव की सरकार को प्रयास करना चाहिए कि डिजिटल माध्यम से लोगों तक अपनी सेयवाएं उपलब्ध कराएं क्योंकि आज डिजिटल माध्यम से लोगों तक व लोगों की सरकार तक पहुँच आसान हो गई है ।
ग्राम पंचायत को अपने कार्यों मे पारदर्शिता लानी होगी । पंचायत के कार्यों मे ग्राम सभा के माध्यम से लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करानी होगी क्योंकि जब तक गाँव की सरकार मे अपने कार्यों के पारदर्शिता नहीं होगी , लोगों के प्रति जवाबदेही नहीं होगी और ग्राम सभा मे ग्रामीणों की सहभागिता नहीं होगी तब तक गाँव मे सुशासन नहीं आ सकता और जब तक सुशासन नही होगा तब तक हमारे गांवों के लिए आत्मनिर्भरता एक दुः स्वप्न की तरह है ।
4 -गाँव की जनसांख्यिकी ( डेमोग्राफी ) और भौगोलिक क्षमता -
गाँव की डेमोग्राफी अर्थात गाँव की जनसंख्या ,साक्षरता दर ,आयु संरचना आदि का सही सही ज्ञान होना अति आवश्यक है । गाँव मे बच्चे ,युवा और बुजुर्ग कितने हैं । बेरोजगारी की स्थति क्या है ? आदि आँकड़े गाँव के विकास संबंधी योजनाओं के लिए अति आवश्यक हैं। यदि हम अपने गाँव की डेमोग्राफी के अनुरूप ग्रामीणों की आवश्यकताओं को ध्यान मे रखकर योजना बनाते हैं तो वह निश्चित ही हमारे गाँव के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी और हमारे गाँव आत्म निर्भर बनेंगे ।
प्रत्येक गाँव के पास अपने कुछ न कुछ संसाधन अवश्य होतें हैं । तालाब ,भूमि ,प्राकृतिक वनस्पति आदि प्राकृतिक संसाधन हैं यदि प्रत्येक गाँव अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही ढंग से योजनाबद्ध तरीके से प्रयोग करे तो हमारे गाँव को आत्म निर्भर होने से कोई नहीं रोक सकता है पर दुर्भाग्य है कि हमारी ग्राम पंचायतें अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही ढंग से प्रयोग नहीं कर पा रही हैं ।
5 - गाँव मे मांग और आपूर्ति के केंद्र -
गाँव मे स्थानीय जरूरतों के अनुसार वस्तुओं और सेवाओं उत्पादन करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
इस प्रकार हम उक्त पाँच स्तम्भ द्वारा अपने गाँव को आत्म निर्भर ,स्वावलंबी और शासक्त बना सकते हैं। जब हमारे गाँव आत्मनर्भर होंगे तभी हमारा देश मजूबत होगा ।
देश के आत्मनिर्भर गांव व आदर्श ग्रामपंचायत को जानें -
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